Rashtrabhasha Poem Sukh-Dukh सुख-दुख

Rashtrabhasha Poem Sukh-Dukh

सुख-दुख

Hello students I have shared Rashtrabhasha Poem Sukh-Dukh सुख-दुख पद्यांश and सारांश in Hindi and English.

निम्न पद्यांश का भाव स्पष्ट कीजिए:-

जग पीड़ित है अति दुख से,

जग पीड़ित रे ! अतिसुखसे

मानव जग में बँट जावें,

दुखसुख से औसुखदुख से ।

कवि और कविता : इस कविता के कवि सुमित्रानंदन पंत हैं। आपका जन्म हिमालय के पास अल्मोड़ा में सन् 1900 में हुआ। कवीन्द्र रवीन्द्र के साथ रहने से आपको नवीन प्रेरणा मिली। आप महात्मा गाँधी से भी प्रेरित हुए। इस कविता में कवि संदेश देते हैं कि जीवन में सुख और दुख दोनों का मिश्रण रहना है। दोनों के रहने से ही जीवन परिपूर्ण बनता है। आप सन् 1977 में स्वर्ग सिधारे ।

Poet and Poetry: The poet of this poem is Sumitranandan Pant. You were born in 1900 in Almora near the Himalayas. Staying with Kavindra Ravindra gave you new inspiration. You were also inspired by Mahatma Gandhi. In this poem, the poet gives the message that there should be a mixture of both happiness and sorrow in life. Life becomes complete only when both are there. You went to heaven in 1977.

भाव : इस कविता में कवि कहते हैं कि मानव जीवन में सुख और दुख का मिश्रण होना चाहिए। संसार में सदा सुख भी रहना नहीं है और सदा दुख भी नहीं रहना है। मनुष्य के जीवन में सुख और दुख दोनों का समान अंश होना ज़रूरी है।

Quote: In this poem the poet says that there should be a mixture of happiness and sorrow in human life. Happiness is not to remain forever in the world and sorrow is not to remain forever. It is necessary to have an equal share of both happiness and sorrow in the life of a human being.

सुखदुखकविता का सारांश लिखिए:-

Write a summary of the poem ‘Sukh-Dukh’ (happiness-sorrow):-

कवि परिचय : इस कविता के रचयिता सुमित्रानंदन पंत है। आपका जन्म हिमालय के पास अल्मोड़ा में सन् 1900 में हुआ। कवीन्द्र रवीन्द्र के साथ रहने से आपको नवीन प्रेरणा मिली। आप महात्मा गाँधी से भी प्रेरित हुए । इस कविता में कवि संदेश देते हैं कि जीवन में सुख और दुख दोनों का मिश्रण रहना है। दोनों के रहने से ही जीवन परिपूर्ण बनता है। आप सन् 1977 में स्वर्ग सिधारे।

Poet Introduction: The author of this poem is Sumitranandan Pant. You were born in 1900 in Almora near the Himalayas. Staying with Kavindra Ravindra gave you new inspiration. You were also inspired by Mahatma Gandhi. In this poem, the poet gives the message that there should be a mixture of both happiness and sorrow in life. Life becomes complete only when both are there. You went to heaven in 1977.

सारांश : इस कविता में कवि पंत कहते हैं कि जीवन में सुख और दुख दोनों का मिश्रण होना चाहिए । मुझे सदा के लिए सुख नहीं चाहिए, सदा के लिए दुख भी नहीं चाहिए। सुख और दुख के आँख मिचौनी का खेल ही जीवन को आनंदमय बनाता है।

Synopsis: In this poem, poet Pant says that there should be a mixture of both happiness and sorrow in life. I don’t want happiness forever, I don’t want sorrow forever. The game of hide and seek between happiness and sorrow makes life blissful.

Rashtrabhasha Poem Sukh-Dukh Saransh

सुख और दुख का मिलन मधुर होना चाहिए, तभी जीवन परिपूर्ण होता है । जिस प्रकार मेघ में ओझल होकर बाहर निकलनेवाला चाँद अधिक सुंदर दिखता है, और चांदिनी के उजाले में छिपकर निकलनेवाला मेघ अधिक आकर्षक रहता है, उसी तरह दुख और सुख के खेल से जीवन अधिक आकर्षक बन सकता है । हे भगवान, यह संसार अधिक दुख से भी पीड़ित न हो । अधिक सुख के कारण आलसीपन की पीड़ा का शिकार न हो। जीवन में सुख और दुख सही अनुपात (ratio) में बँट जाना चाहिए ।

The meeting of happiness and sorrow should be sweet, only then life becomes complete. Just as the moon that comes out after disappearing in the cloud looks more beautiful, and the cloud that comes out hiding in the moonlight is more attractive, in the same way life can become more attractive by the play of sorrow and happiness. O Lord, may this world not suffer even with much sorrow. Don’t fall victim to the pain of laziness due to excessive happiness. Happiness and sorrow in life should be distributed in the right proportion.

सांसारिक जीवन में अविरत दुख या सुख दोनों दर्द देते हैं । जिस तरह दिन और रात बदल बदलकर आते हैं, उसी प्रकार सुख और दुख जीवन में आना चाहिए। इनमें जीवन सोकर उठकर विभिन्न अनुभव प्राप्त करें । उषा और सायंकाल का मिलन अत्यंत सुंदर रहता है । विरह और मिलन जीवन को आकर्षक बनाते हैं । हर्ष और आँसू के मिश्रण जीवन को सार्थक बनाते हैं। इसी तरह सुख और दुख का मिश्रण मानव को परिपूर्ण बनाता है ।

Continuous sorrow or happiness in worldly life both give pain. Just as day and night come in change, in the same way happiness and sorrow should come in life. Get different experiences after sleeping in these. The meeting of Usha and evening is very beautiful. Separation and union make life attractive. The mixture of joy and tears is what makes life worthwhile. Similarly, the mixture of happiness and sorrow makes a human being perfect.