Class 10 Hindi
1. ‘कारतूस‘ नामक एकांकी का उद्देश्य/प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘कारतूस‘ नामक एकांकी का उद्देश्य है–भारत को अंग्रेज़ी राज से आजादी दिलाने में तत्कालीन नवाबों के योगदान पर प्रकाश डालना। लेखक बताना चाहता है कि 1799 के आसपास कंपनी सरकार का दबदबा बढ़ता जा रहा था। देशी नवाबों को सत्ता से अलग करके कंपनी सरकार के पिट्टू बिठाए जा रहे थे। भाई–भाई की फूट का लाभ उठाकर देश को कंपनी सरकार का गुलाम बनाया जा रहा था। ऐसी हालत में अवध के नवाब वज़ीर अली ने कंपनी–सरकार से सीधा संघर्ष मोल लिया। उसने जान की बाजी लगाकर अपने स्वाभिमान की रक्षा की तथा कंपनी सरकार के वज़ीफ़े को ठुकराकर जंगल–जंगल भटकना स्वीकार किया। वज़ीर अली ने अवध की नवाबी वापस लेने के लिए अफ़गानिस्तान के बादशाह को भी हिंदुस्तान पर हमला करने का न्यौता दिया। इस न्यौते में टीपू सुल्तान और बंगाल के शमसुद्दौला भी शामिल थे। इस प्रकार तत्कालीन नवाबों ने अंग्रेज़ों से मुक्ति पाने के लिए संघर्ष किया।
1. What is the purpose of the one-act play ‘Cartridge’?
Answer: The purpose of the one-act play ‘Cartridge’ is to highlight the contributions of the contemporary Nawabs in freeing India from British rule. The author wants to show that around 1799, the Company’s dominance was growing. Native Nawabs were being replaced by puppets of the Company’s government. Taking advantage of the division among brothers, the country was being enslaved by the Company’s government. In such a situation, Nawab Wazir Ali of Awadh directly confronted the Company’s government. He risked his life to protect his dignity and chose to wander in the jungles rather than accept the Company’s government’s pension. Wazir Ali even invited the king of Afghanistan to attack India to regain the Nawabi of Awadh. This invitation also included Tipu Sultan and Shamsuddaula of Bengal. Thus, the Nawabs of that time struggled to free themselves from the British.
2. ‘गिन्नी का सोना‘ पाठ का संदेश/कथ्य/प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।
उतर – ‘गिन्नी का सोना‘ पाठ का संदेश यह है कि आदर्श अव्यावहारिक नहीं होना चाहिए। व्यवहार में लाए बिना आदर्श का कोइ मूल्य नहीं होता। परंतु उसे व्यवहार में लाते समय हमें उसकी महिमा, गरिमा और मूल भावना से समझौता नहीं करना चाहिए हमें आदर्शों को मजबूत और चमकदार बनाने के लिए थोड़ी मात्रा में व्यावहारिकता का तांँबा तो मिलना चाहिए परन्तु वह रहना चाहिए सोना ही।चर्चा सोने की ही होनी चाहिए, ताँबे की नहीं। इसे हम यों कह सकते है कि तांबे में सोना मिलने का प्रयत्न करना चाहिए। अपने व्यवहार को आदर्श बनाने का प्रयास करना चाहिए। हर छोटे काम को भी शुद्ध भाव से करना चाहिए। महान कामों को तुच्छता से करने की बजाय अच्छा यही है कि छोटे–छोटे कामों को भी गरिमा पूर्वक किया जाए।
2. What is the message of the story ‘Ginni’s Gold’?
Answer – The message of ‘Ginni’s Gold’ is that ideals should not be impractical. Without being applied in behavior, ideals have no value. However, when bringing them into practice, we should not compromise their significance, dignity, and original sentiment. We should add a bit of practicality, like copper, to make the ideals strong and shining, but it should remain gold. The discussion should be about gold, not copper. We should try to mix gold in copper, meaning we should try to make our behavior ideal. Every small task should be done with pure intention. Instead of performing great tasks with triviality, it’s better to perform even the smallest tasks with dignity.
3. ‘तोप‘ कविता का उद्देश्य/प्रतिपाद्य/संदेश स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – ‘ तोप‘ कविता शस्त्र–शक्ति और बलपूर्वक दमन का विरोध करती है। इस कविता में बताया गया है कि तोपों–तीरों–तलवारों से जनता की आवाज को कुछ समय के लिए दबाया जा सकता है, हमेशा के लिए नहीं। जनता का विद्रोह समय आने पर बड़ी–बड़ी तोपों का मुँह बंद कर देता है, बड़े–बड़े अत्याचारियों को उखाड़ फेंकता है। तब ये तोपें बच्चों के खिलौने बन जाती हैं और इनकी व्यर्थता का उपहास उड़ाया जाता है।
कविता में यह संदेश भी है कि तोपें अब इतिहास बन चुकी है शस्त्र –बल का जमाना लद चुका है। अब लोकतंत्र है यहांँ हर समस्या का समाधान बातचीत से निकलता है। 1857 की तोपें भी बातचीत का रास्ता नहीं रोक सकी ।आखिरकार तोपों पर बातचीत की विजई हुई।
3. What is the objective/message of the poem ‘Cannon’?
Answer: The poem ‘Cannon’ opposes weapon power and forceful suppression. It explains that the voice of the people can be suppressed for a while with cannons, arrows, and swords but not forever. When the time comes, the people’s revolt silences the big cannons and overthrows the great tyrants. Then these cannons become toys for children, and their futility is mocked.
The poem also conveys that cannons have now become history, and the era of weapon power is over. Now it’s the era of democracy where every problem is solved through dialogue. The cannons of 1857 couldn’t stop the path of dialogue. In the end, dialogue triumphed over the cannons.
4. ‘आत्मत्राण‘ कविता से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर – ‘आत्मत्राण‘ कविता में कवि स्वयं अपने बल पर अपने दुखों से त्राण पाना चाहता है। वह दुखों से मुक्ति नहीं चाहता, बल्कि दुखों को सहने तथा उनसे उबरने की आत्मशक्ति चाहता है। इस तरह यह कविता हमें प्रेरणा देती है कि हम भी संसार के दुखों से भागें नहीं। हम दुखों को निर्भय होकर सहन करें, उनसे उबरें, उन पर विजय पाएँ और आस्थावान बने रहें। हम दुखों से क्षुब्द होकर टूटें न, रोएँ न, निराशावादी न बनें, परमात्मा के प्रति संदेह और क्षोभ से न भरें। हमें परमात्मा से कुछ माँगना है तो दुख सहन करने की शक्ति माँगें। हम सुख में भी परमात्मा को याद करना, धन्यवाद देना तथा उनके प्रति विनय प्रकट करना न भूलें।
4. What inspiration do you get from the poem ‘Aatmatraan’?
Answer: In the poem ‘Aatmatraan’, the poet wants to overcome his sorrows through his own strength. He doesn’t wish for relief from sorrows but desires the inner strength to endure and overcome them. Thus, this poem inspires us not to flee from the sorrows of the world. We should fearlessly bear the sorrows, overcome them, triumph over them, and remain faithful. We should not break down, cry, become pessimistic, or fill with doubt and resentment towards God in the face of sorrows. If we are to ask something from God, let it be the strength to endure sorrows. We should remember God in happiness as well, give thanks, and not forget to express humility towards Him.
5. ‘कर चले हम फ़िदा‘-कविता की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए उसका प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए
उत्तर – यह कविता 1962 में हुए भारत–चीन युद्ध की पृष्ठभूमि में लिखी गई है। चीन ने भाईचारे की खाल में छिपकर हम पर आक्रमण कर दिया था। इस अवसर पर पूरा देश चीन के अन्याय के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ था।
कैफ़ी आज़मी द्वारा लिखित इस कविता से। हमें देशहित बलिदान और संघर्ष करने की प्रेरणा मिलती है। जब देश पर कोई विदेशी आक्रमणकारी चढ़ आया हो, तब हमें जी–जान लगाकर देश की रक्षा करनी चाहिए। युद्ध में चाहे कितने भी संकट आएँ, चाहे बर्फीली आँधियों का सामना करना पड़े, चाहे साँस रुक जाए, नसें जम जाएँ, मौत सामने आ जाए तो भी हमें बलिदान देने से पीछे नहीं हटना चाहिए। भारत–भूमि हमारे लिए दुलहन के समान है। हमीं को इसकी रक्षा करनी है। यदि यह सीता है तो हम राम–लक्ष्मण हैं। हमें एक–के–बाद एक बलिदानी काफ़िले तैयार करने हैं ताकि आखिरी दम तक हम देश की रक्षा में काम आ सकें।
5. Discuss the theme of ‘Kar Chale Hum Fida’ in your own words, considering its historical background.
Answer: This poem was written against the backdrop of the 1962 India-China war. China attacked us under the guise of brotherhood. At that time, the entire country stood against China’s injustice.
Written by Kaifi Azmi, this poem inspires us to sacrifice and struggle for the country’s interest. When a foreign invader attacks the country, we should defend our country with all our might. No matter how many dangers arise in war, whether we face icy storms, run out of breath, or even face death, we should not shy away from making sacrifices. Our motherland is like a bride to us. We are responsible for its protection. If it is Sita, then we are Ram and Lakshman. We need to prepare convoys of martyrs one after another so that we can serve the country’s defense until our last breath.
It was very helpful thank you so much.