Andher Nagri Rashtrabhasha
अंधेर नगरी
Hello students I have shared Andher Nagri Rashtrabhasha अंधेर नगरी अभ्यास in Hindi and English.
I. ‘अंधेर नगरी‘ एकांकी का सारांश लिखिए । ( ‘Andher Nagri’ ekanki saransh)
‘अंधेर नगरी‘ हास्यात्मक एकांकी है। इसके एकांकीकार भारतेन्दु हरिश्चंद्र है । एकांकीकार भारतेंदु हरिश्चंद्र हिंदी के बहुमुखी साहित्यकार हैं । आपने साहित्य की अनेक विधाओं पर अपनी लेखनी चलायी है। एकांकी हमें यह सबक देता है कि मूर्खों का संग कभी भला नहीं करता ।
‘Andher Nagri’ is a humorous one-act play. Its artist is Bharatendu Harishchandra. Bhartendu Harishchandra is a versatile Hindi writer. You have run your pen on many genres of literature. This one-act play teaches us the lesson that the company of fools never does any good.
गुरु महंत एक बार अपने दो शिष्य गोवर्धनदास और नारायणदास के साथ देशाटन करते हुए किसी शहर में आते हैं। उस शहर का नाम अंधेर नगरी है और वहाँ हर चीज़ टके सेर मिलती है। तब गुरु बताते हैं कि यहाँ रहने से आफ़त होगी। लेकिन शिष्य गुरु की बात नहीं मानते । वे वहीं रहना चाहते हैं। गुरु महंत यह कहकर चले जाते हैं कि आफ़त के समय उनकी याद करना ।
Guru Mahant once came to a city while roaming the country with his two disciples Govardhandas and Narayandas. The name of that city is Andher Nagri and everything is easily available there. Then the Guru tells that staying here will cause trouble. But the disciples do not listen to the Guru. They want to be there. Guru Mahant goes away saying that at the time of trouble, remember him.
एक दिन किसी दीवार के टूटने से एक बकरी दबकर मर जाती है। राजा के पास इसकी शिकायत आती है, तब कल्लू बनिया बुलाया जाता है। क्योंकि वह टूटी दीवार कल्लू बनिये की थी। कल्लू बनिया कहता है कि यह कारीगर का कसूर है। कारीगर चूनेवाले को, चूनेवाला भिश्ती को, भिश्ती कसाई को, कसाई गड़रिये को और गड़रिया कोतवाल को अपराधी बताते हैं। आखिर कोतवाल को दोषी ठहराकर उसे फाँसी की सज़ा दी जाती है।
One day a goat is crushed to death by a wall collapse. When a complaint comes to the king, Kallu the Baniya is called. Because that broken wall belonged to Kallu Baniya. Kallu Baniya says that it is the fault of the craftsmen. The craftsmen blames the lime maker, the lime makes blames the waterman, the waterman blames the butcher, the butcher blames the shepherd and the shepherd blames the the police officer. After all, police officer is convicted and sentenced to death.
फाँसी का फंदा बड़ा निकलता है और कोतवाल दुबला है, तो राजा आदेश देता है कि कोतवाल के बदले किसी मोटे आदमी को फाँसी पर चढ़ाया जाए।
The hanging noose turns out to be big and the Kotwal is lean, so the king orders that a fat man be hanged instead.
शिष्य गोवर्धनदास काफ़ी मोटा था, इसलिए सिपाही गोवर्धनदास को पकड़ लेते हैं। जब सारी बातें मालूम होती हैं तब गोवर्धनदास को बड़ा पछतावा होता है। वह गुरु की दुहाई देता है। गुरु आते हैं और कहते हैं कि इस शुभ घड़ी में मरनेवाला सीधे स्वर्ग जाएगा ।
The disciple Govardhandas was very fat, so the soldiers caught hold of Govardhandas. When all the things are known, then Govardhandas feels very remorseful. He cries out for the Guru. Guru comes and says that one who dies in this auspicious time will go straight to heaven.
यह सुनते ही हर आदमी फाँसी पर चढ़ने तैयार होता है। लेकिन राजा के होते हुए यह भाग्य दूसरे को कहाँ मिलेगा? राजा खुद फाँसी पर चढ़ता है और मर जाता है। गुरु महंत और शिष्य उस शहर से भाग निकलते हैं।
On hearing this, every man is ready to be hanged. But when there is a king, how can others get this fortune? The king himself hangs himself and dies. Guru Mahant and the disciples escape from that city.
II. निम्नलिखित पात्रों का परिचय दीजिए । (Introduce the following characters)
1. गुरु महंत Guru Mahant
भारतेंदु हरिश्चन्द्र कृत ‘अंधेर नगरी‘ एकांकी का प्रमुख पात्र है गुरु महंत । एकांकी में हम इनकी दूरदर्शिता और बुद्धिमत्ता को देख सकते हैं।
Guru Mahant is the main character of the one-act play ‘Andher Nagri’ by Bhartendu Harishchandra. In this Ekanki we can see his foresight and intelligence.
महंत को मालूम होता है कि अंधेर नगरी में सभी चीज़ें टके सेर बिकती हैं। उसी क्षण वे समझ लेते हैं कि यहाँ का राजा बड़ा बेवकूफ़ है और यहाँ रहने से बड़ी आफ़त होगी। यहाँ हम उनकी बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता को देखते हैं।
Mahant comes to know that in the Andher Nagri everything is sold in bulk. At the same moment they understand that the king here is very stupid and staying here will be a big disaster. Here we see his wisdom and foresight.
जब दोनों शिष्य अंधेर नगरी छोड़कर आने से इनकार कर देते हैं, तब गुरु महंत एक सच्चे गुरु होने के नाते कहते हैं कि कभी संकट पड़े तो मेरी याद करो ।
When both the disciples refuse to leave the dark city and come, then Guru Mahant being a true Guru says that whenever there is a crisis, remember me.
राजा की मूर्खता से गोवर्धनदास को सिपाही लोग पकड़ते हैं और फाँसी पर चढ़ाने की तैयारी करते हैं, तब महंत आ जाते हैं। वे कहते हैं कि यह शुभ घड़ी है, इस समय मरनेवाला आदमी सीधे स्वर्ग जाएगा। यह सुनकर राजा खुद फाँसी पर चढ़ता है और शिष्य बच जाता है। यहाँ हम महंत की सूझ–बूझ देख सकते हैं।
Due to the stupidity of the king, the soldiers catch Govardhandas and prepare to hang him, then Mahant comes. They say that this is an auspicious time, a person who dies at this time will go straight to heaven. Hearing this, the king himself hangs himself and the disciple is saved. Here we can see the wisdom of Mahant.
2. अनबूझ राजा The Clueless King
अन्धेर नगरी भारतेन्दु हरिश्चंद्र द्वारा रचित एकांकी है । भारतेन्दु हरिश्चंद्र की रचनाओं में समाज सुधार, राष्ट्र प्रेम आदि प्रमुख विषय हैं। अंग्रेज़ी शासन का विरोध, स्वतंत्रा के लिए लड़ना और राष्ट्रीय भावना को उजागर करना उनाकी रचनाओं का प्रमुख ध्येय रहा।
Andher Nagari is a one-act play by Bhartendu Harishchandra. Social reform, patriotism etc. are the main subjects in the works of Bhartendu Harishchandra. Opposition to the British rule, fighting for independence and highlighting the national spirit were the main objectives of his creations.
अंधेर नगरी का राजा, अनबूझ चंचल मनवाले, निर्णय लेने में असमर्थ और अच्छा–बुरा, सही–गलत का भेदभाव न जाननेवाले अनबूझ व्यक्ति थे । उनमें राजा के पद के लिए वांछित गुणों का अभाव था । उनके राज्य से सब्जी, हलवाई, मिठाई सबकुछ हमें टके सेर में मिलता था । इसलिए गोवर्धनदास कहता है– “ अंधेर नगरी अनबूझ राजा, टके सेर भाजी, टके सेर खाजा“। सारे नगरवासी सस्ते में मिली वस्तुओं को खाकर आराम की जिन्दगी बिताते हैं। गुरु महन्त का मानना है कि ऐसे मूर्ख राजा के नगर में वास करना आफ़त है । एक दिन राजा को फरियाद का निर्णय सुनाना पड़ता है। कल्लू बनिये की दीवार के नीचे फरियादी की बकरी दबकर मर जाती है। फरियादी न्याय माँगते हुए राजा के पास आता है। राजा ने, कल्लू बनिये, कारीगर, चूनेवाले, भिश्ती, कसाई, गड़रिये, कोतवाल आदि से सुनवाई करता है। अंत में कोतवाल पर दोष लगाया जाता है। फाँसी का फंदा बड़ा था। इसलिए वह दुबले कोतवाल के बदले गोवर्धनदास जो मिठाई खाकर खूब मोटा हो गया है, उसे पकड़कर फाँसी पर चढ़वाने की तैयारियाँ करता है । इतने पर गुरु महन्त आते हैं। योजना के अनुसार छोटा–सा– नाटक रचाया जाता है। इस जाल पर फँसकर राजा खुद मरकर स्वर्ग जाना चाहता है। अंत में राजा को फाँसी पर लटका दिया जाता है।
The king of Andher Nagri was an unintelligent person with a fickle mind, unable to take decisions and not knowing the difference between good and bad, right and wrong. He lacked the desired qualities for the position of a king. We used to get vegetables, confectionaries and sweets from his kingdom in a fraction of a cent. That’s why Govardhandas says – “Andher Nagri Anbujh Raja, Takae Ser Bhaji, Takae Ser Khaja”. All the townspeople lead a comfortable life by eating cheap things. Guru Mahant believes that it is a disaster to live in the city of such a foolish king. One day the king has to pronounce the decision of the complainant. The complainant’s goat dies under the wall of Kallu Baniya. The complainant comes to the king seeking justice. He hears from the shepherds, the policeman etc. In the end, the policeman is blamed. The noose for hanging was big. That’s why instead of the lean policeman, he catches Govardhandas, who has become very fat after eating sweets, and prepares to hang him. At this point the Guru Mahant comes. According to the plan, a small drama is enacted. The king himself wants to go to heaven after getting caught in this trap. In the end, the king is hanged.
III. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए । Answer the following questions in one or two sentences
1. महंत के कितने शिष्य थे ? वे कौन–कौन थे ?
- महंत के दो शिष्य थे।वे गोवर्धनदास और नारायणदास थे।
1. How many disciples did Mahant have? Who were they?
Mahant had two disciples. They were Govardhandas and Narayandas.
2. अंधेर नगरी में सभी चीजें किस भाव में बिकती थीं?
- अंधेर नगरी में सभी चीज़ें टके सेर बिकती थीं।
2. At what price were all the things sold in Andher Nagri?
In Andher Nagri, everything was sold in pieces.
3. कोतवाल को क्यों छोड़ा गया ?
- फाँसी का फंदा बड़ा निकला, लेकिन कोतवाल दुबला था। इसलिए कोतवाल छोड़ा गया।
3. Why was Kotwal released?
The noose turned out to be big, but the Kotwal was lean. That’s why Kotwal was released.
4. अंत में राजा फाँसी पर क्यों चढ़ा ?
- गुरु महंत ने गोवर्धनदास को बचाने के लिए कहा कि इस शुभ घड़ी में मरनेवाला सीधे स्वर्ग जाएगा। सीधे स्वर्ग जाने के लालच में राजा फाँसी पर चढ़ा ।
4. Why was the king hanged in the end?
To save Govardhandas Guru Mahant told that the one who dies in this auspicious time will go straight to heaven. In the greed of going straight to heaven, the king got hanged.
IV. निम्नलिखित अवतरणों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए । (Explain the following passages in context)
1. बच्चा, यह कौन–सी नगरी है और इसका कौन सा राजा है ?
Child, which city is this and who is its king?
प्रसंग:- यह वाक्य ‘अंधेर नगरी‘ एकांकी से दिया गया है। इसके एकांकीकार भारतेंदु हरिश्चंद्र हैं । समाज सुधार, राष्ट्र प्रेम आदि उनके विषय थे। अंग्रेज़ी शासन का विरोध, स्वतंत्रता के लिए लड़ना और राष्ट्रीय भावना को उजागर करना आदि इनकी रचनाओं का प्रमुख रहा ।
Context: This sentence has been given from the one-act play ‘Andher Nagri’. Its artist is Bharatendu Harishchandra. His subjects were social reform, patriotism etc. Opposition to the British rule, fighting for freedom and highlighting the national spirit etc. were the main themes of his creations.
भाव:- इस नगर में सब चीज़ें टके सेर में मिलती हैं। लोग मस्त जीवन बिताते हैं । इसलिए गोवर्धनदास जानना चाहता है कि इस नगर का राजा कौन है और शहर का नाम क्या है ?
Quote :- In this city everything is available at a glance. People lead a happy life. That’s why Govardhandas wants to know who is the king of this city and what is the name of the city?
2. मैं तो जाता हूँ, पर इतना कहे जाता हूँ कि कभी संकट पड़े, तो याद करना ।
I am going, but remember me whenever there is a crisis.
प्रसंग:- यह वाक्य ‘अंधेर नगरी‘ एकांकी से दिया गया है। गुरु महंत अपने शिष्य गोवर्धनदास और नारायणदास से ऐसा कहते हैं ।
Context: This sentence has been given from the one-act play ‘Andher Nagri’. Guru Mahant says this to his disciples Govardhandas and Narayandas.
भावः – अंधेर नगरी में सभी चीज़ें टके सेर बिकती हैं। यह सुनकर गुरु कहते हैं कि यहाँ के लोग मूर्ख हैं और यहाँ रहना उचित नहीं है । इसलिए हमें यहाँ से तुरंत निकलना है। लेकिन शिष्य गुरु की यह बात नहीं मानते। तब गुरु कहते हैं कि यहाँ रहने से किसी दिन तुम लोग संकट में पड़ जाओगे, तब मेरी याद करना ।
Quote: – In the Andher Nagri, everything is sold in pieces. Hearing this, the Guru says that the people here are fools and it is not proper to live here. That’s why we have to get out of here immediately. But the disciples do not accept this advice of the Guru. Then the Guru says that someday you will be in trouble by staying here, then remember me.
3. अरे, मैं नाहक मारा जाता हूँ। यहाँ बड़ा ही अंधेरा है, गुरुजी । तुम कहाँ हो ।
Hey, I get killed undeservedly. It is very dark here, Guruji. where are you .
प्रसंग:- यह वाक्य ‘अंधेर नगरी‘ एकांकी से दिया गया है। अंधेर नगर के राजा ‘अनबूझ राजा‘ है। उसे न्याय, अन्याय का कोई भेद नहीं है। शिष्य गोवर्धनदास को कोई अपराध किए बिना ही फ़ाँसी की सजा दी जाती है। तो गोवर्धनदास इस प्रकार कहता है।
Context: This sentence has been given from the one-act play ‘Andher Nagri’. The king of Andher Nagar is ‘Anbujh Raja’. He has no distinction between justice and injustice. Disciple Govardhandas is sentenced to death without having committed any crime. So Govardhandas says like this.
भावः– गोवर्दनदास ने चिल्लाकर कहा कि उसे बेवजह, अकारण फाँसी की सजा दी जा रही है। यह नगर अंधेर है। राजा अनबूझ है । इस अंधेर नगरी से निकलते समय गुरु ने वादा किया कि जब शिष्य उनकी याद करेगा तब तत्क्षण उपस्थित होंगे। इसलिए शिष्य ने संकट मोचन के लिए गुरु को बुलाया ।
Quote:- Govardandas shouted that he was being hanged without any reason. This city is dark. The king is clueless. While leaving this dark city, the Guru promised that whenever the disciple would remember him, he would be present immediately. That’s why the disciple called the Guru to solve the problem.
4. माना कि देश बहुत बुरा है, पर अपना क्या ? खाते–पीतेमस्तपड़ेहैं।
Agreed that the country is very bad, but what about ours? They are busy eating and drinking.
प्रसंग:- ये वाक्य ‘अंधेर नगरी‘ एकांकी से दिये गये हैं। गोवर्धनदास नारायणदास से ऐसा कहता है।
Context:- These sentences have been given from the one-act play ‘Andher Nagri’. Govardhandas says this to Narayandas.
भावः– अपने गुरु की बात न मानकर दोनों शिष्य अंधेर नगरी में ही रहते हैं। सभी चीज़ें टके सेर मिलती हैं, दोनों बड़े मज़े में रहते हैं । तब गोवर्धनदास कहता है कि गुरु ने यहाँ न रहने का उपदेश देकर गलत किया। देश बुरा है, यह तो ठीक है! लेकिन हमें सब कुछ मिल जाता है और हम सुखी हैं।गोवर्धनदास को आनेवाले आफ़त की जानकारी नहीं है।इसलिए ऐसा कहता है।
Quote:- Both the disciples live in the dark city by not listening to their Guru. Everything goes hand in hand, both live in great joy. Then Govardhandas says that the Guru did wrong by preaching not to stay here. The country is bad, that’s okay! But we get everything and we are happy. Govardhandas is not aware of the impending disaster. That’s why he says so.
5. चुप रहो सब लोग । राजा के जीते जी और कौन स्वर्ग जा सकता है ? हमको फाँसी पर चढ़ाओ, जल्दी–जल्दी |
5. Shut up everyone. Who else can go to heaven while the king is alive? Hang me quickly.
प्रसंगः– ये वाक्य भारतेंदु हरिश्चन्द्र रचित ‘अंधेर नगरी‘ नामक एकांकी से दिये गये हैं। अंधेर नगरी का राजा इस प्रकार कहता है ।
Context:- These sentences have been given from a one-act play named ‘Andher Nagari’ composed by Bharatendu Harishchandra. King of the Andher Nagari says this.
भावः– साधु महंत जी अपने शिष्य से कहते हैं कि आज जो मरते हैं वे सीधे स्वर्ग जाते हैं। तब मंत्री कोतवाल सब अपने को फाँसी पर चढ़ाने के लिए कहते हैं। तो राजा कहता है कि “राजा के जीते जी और कौन स्वर्ग जा सकता है? मैं राजा हूँ । अतः मुझे फाँसी पर चढ़ा दो ।“
Quote:- Sadhu Mahant ji tells his disciple that those who die today go directly to heaven. Then Minister Kotwal and everyone ask to hang themselves. So the king says that “Who else can go to heaven while the king is alive? I am the king So hang me.”