Rashtrabhasha Poem Chaah चाह

Rashtrabhasha Poem Chaah

चाह

Hello students I have shared Rashtrabhasha Poem Chaah चाह पद्यांश and सारांश in Hindi and English.


अभ्यास

निम्न पद्यांश का भाव स्पष्ट कीजिए:-

 

मुझे तोड़ लेना ‘वनमाली’
उस पथ में देना तुम फेंक;
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जावें वीर अनेक ।।

कवि परिचय : इस कविता के रचयिता माखनलाल चतुर्वेदी हैं। आपका उपनाम ‘एक भारतीय आत्मा’ है। आपका जन्म सन् 1888 में मध्यप्रदेश के ‘खंडवा ‘ में हुआ। आप राष्ट्रीय आंदोलनों में शामिल होकर अनेक बार जेल भी गये। ‘हिम- तरंगिनी’, ‘हिम किरीटिनी’, ‘माता’ आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं । कवि एक पुष्प के माध्यम से देश-भक्ति भावना को प्रकट करते हैं। आप 1968 में स्वर्ग सिधारे । यह पद्यांश माखनलाल चतुर्वेदी की लिखी हुई कविता ‘चाह’ से दिया गया है।

Poet Introduction: The author of this poem is Makhanlal Chaturvedi. Your nickname is ‘An Indian Soul’. You were born in 1888 in ‘Khandwa’ of Madhya Pradesh. You also went to jail many times by participating in national movements. ‘Him-Tarangini’, ‘Him Kiritini’, ‘Mata’ etc. are his main creations. Poets express the feeling of patriotism through a flower. You went to heaven in 1968. This passage is given from the poem ‘Chaah’ written by Makhanlal Chaturvedi.

भाव : राष्ट्र-प्रेम से भरपूर पुष्प वनमाली से कहता है कि मेरी एक मात्र चाह यह है कि राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बलि चढानेवाले वीरों के पैरों की सेज बनूँ । इसलिए मुझे तोड़कर उनके जाने के मार्ग में फेंक दो।

Quote: A flower full of patriotism tells the gardener that my only wish is to become a sage at the feet of the heroes who sacrificed their lives for the protection of the nation. That’s why break me and throw me in the way of their departure.

‘चाह’ कविता का सारांश लिखिए ।

Write a summary of the poem ‘Chaah’.

कवि परिचय : इस कविता के रचयिता माखनलाल चतुर्वेदी हैं । आपका उपनाम ‘एक भारतीय आत्मा’ आपका जन्म सन् 1888 में मध्यप्रदेश के ‘खंडवा में हुआ। आप राष्ट्रीय आंदोलनों में शामिल होकर , अनेक बार जेल भी गये । ‘हिम- तरंगिनी’ ‘हिम- किरीटिनी’ ‘माता’ आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं । कवि एक पुष्प के माध्यम से देश-भक्ति भावना को प्रकट करते हैं। आप 1968 में स्वर्ग सिधारे ।

Poet Introduction: The author of this poem is Makhanlal Chaturvedi. Your nickname ‘An Indian soul’ You were born in 1888 in ‘Khandwa’ of Madhya Pradesh. By participating in national movements, you also went to jail many times. ‘Him-Tarangini’ ‘Him-Kiritini’ ‘Mata’ etc. are his main creations. Poets express the feeling of patriotism through a flower. You went to heaven in 1968.

सारांश : प्रस्तुत कविता में देश-भक्ति भावना से भरपूर एक पुष्प कहता है कि उसे सुरबाला के गहनों में गूँथे जाने की चाह नहीं है। किसी प्रेमी की माला में रहकर उसकी प्यारी को आकर्षित करने की इच्छा नहीं है।

Synopsis: In the present poem, a flower full of patriotism says that it does not want to be entwined in Surbala’s ornaments. There is no desire to attract his beloved by being in the garland of a lover.

सम्राटों के शवों पर चढ़ाये जाने की चाह नहीं है। देवों के सिर पर चढ़कर अपने भाग्य पर गर्व करने की चाह भी उसके मन में नहीं है ।

There is no desire to be offered on the dead bodies of emperors. He doesn’t even have the desire to be proud of his fortune by climbing on the heads of the gods.

वह राष्ट्रप्रेमी पुष्प ‘वनमाली’ से कहता है, तुम मुझे तोड़कर उस रास्ते पर फेंक दो, जिस रास्ते से होकर देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बलि चढ़ाने अनेक वीर जाते हैं। मैं उनके पैरों की सेज बनकर अपने भाग्य पर गर्व करना चाहता हूँ ।”

That patriotic flower says to ‘Vanmali’, you break me and throw me on the path through which many heroes go to sacrifice their lives for the protection of the country. I want to be proud of my fortune to be the sage of his feet.