Rashtrabhasha Poem Khilauna
खिलौना
Hello students I have shared Rashtrabhasha Poem Khilauna खिलौना पद्यांश and सारांश in Hindi and English.
निम्न पद्यांश का भाव स्पष्ट कीजिए:-
राजहठी ने फेंक दिए सब
अपने रजत – हेम – उपहार
‘लूँगा वही, वही लूँगा मैं । ‘
मचल गया वह राजकुमार ।
कवि परिचय : इस कविता के रचयिता सियारामशरण गुप्त हैं। आपका जन्म ई सन् 1895 में चिरगांव में हुआ। आप राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के अनुज हैं। आप राष्ट्रीयता के पुजारी हैं। ‘मौर्य विजय‘दूरवादल‘, ‘आर्द्रा‘, ‘पाथेय‘ आदि आपके कविता संग्रह हैं।
Poet Introduction: The author of this poem is Siyaramsharan Gupta. You were born in 1895 in Chirgaon. You are the younger brother of national poet Maithilisharan Gupta. You are a priest of nationalism. ‘Maurya Vijay’, ‘Doorvadal’, ‘Ardra’, ‘Patheya’ etc. are your poetry collections.
भाव : इस कविता में कवि बाल मनोविज्ञान का सुंदर चित्रण देते हैं। राजकुमार को अनेक रजत, स्वर्ण के मूल्यावान उपहार दिए गए। लेकिन उसने सब कुछ फेंक दिए। उसे मिट्टी का खिलौना ही पसंद था । इसलिए मिट्टी के खिलौने का इशारा करके उसने हठ किया, ‘मुझे यही खिलौना चाहिए‘।
Emotion: In this poem, the poet gives a beautiful picture of child psychology. Many valuable gifts of silver and gold were given to the prince. But he threw everything away. He liked clay toys only. So pointing to the clay toy, he stubbornly said, ‘I want this toy’.
‘खिलौना‘ कविता का सारांश लिखिए:-
Write a summary of the poem ‘Khilona’:-
कवि परिचय : इस कविता के रचयिता सियारामशरण गुप्त हैं। आपका जन्म ई सन् 1895 में चिरगांव में हुआ। आप राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त के अनुज हैं। आप राष्ट्रीयता के पुजारी है। ‘मौर्य विजय‘ ‘दूरवादल‘, ‘आर्द्रा‘, ‘पाथेय‘ आदि आपके कविता संग्रह हैं।
Poet Introduction: The author of this poem is Siyaramsharan Gupta. You were born in 1895 in Chirgaon. You are the younger brother of national poet Maithilisharan Gupta. You are a priest of nationalism. ‘Maurya Vijay’ ‘Durvadal’, ‘Ardra’, ‘Patheya’ etc are his poetry collections.
सारांश : इस कविता में बाल मनोविज्ञान का सुंदर परिचय है। बच्चों के लिए सोना या मिट्टी दोनों बराबर हैं। कभी कभी मिट्टी के खिलौने उन्हें सोने के खिलौने की अपेक्षा अधिक प्यारे होते हैं।
Synopsis: This poem has a beautiful introduction to child psychology. Gold or clay both are equal for children. Sometimes clay toys are more dear to them than gold toys.
कविता में एक राजकुमार, मिट्टी के खिलौने के लिए हठ करता है, जिसके साथ दीन (गरीब) का बच्चा पथ में खेल रहा था। उस खिलौने को लेकर राजकुमार भी खेल रहा था । राजकुमार राजमहल वापस आने के बाद भी उसी मिट्टी के खिलौने के लिए हठ करता है ।
In the poem, a prince longs for the clay toy with which the child of the din (poor) was playing in the street. The prince was also playing with that toy. Even after coming back to the palace, the prince insists on the same clay toy.
Rashtrabhasha Poem Khilauna सारांश
दास–दासियाँ उन्हें समझाते हैं कि वे उसे सोने के खिलौने देंगे। वे कहते हैं कि मिट्टी के खिलौने से सोने का खिलौना अच्छा है ।
The maids and servants convince him that they will give him gold toys. They say that a gold toy is better than a clay toy.
लेकिन राजकुमार कहता है कि मिट्टी का हो या सोने का, जिस खिलौने के साथ वह पथ में खेल रहा था, वही खिलौना चाहिए, क्योंकि उसमें बड़ा आनंद आता था ।
But the prince says that whether it is made of clay or gold, the toy with which he was playing on the road should be the toy, because he used to enjoy it a lot.
चलते चलते, राजकुमार अधिक हठ करने लगा। उसने सभी स्वर्ण की चीजों को फेंक दिया। क्योंकि उसे मिट्टी का वह खिलौना ही पसंद था। बच्चों का स्वभाव बड़ा विचित्र होता है। अपनी पसंद की चीज़ सोना या मिट्टी, उसकी उन्हें कोई चिंता नहीं। इस कविता में राजहठ तथा बालहठ का वर्णन मन को छू लेता है।
As they walked, the prince became more stubborn. He threw away all the gold things. Because he liked that clay toy only. Children’s nature is very strange. They don’t care about the thing of their choice, gold or clay. The description of Rajhath and Balhath in this poem touches the heart.