Kavita Ka Saransh
कविता का सारांश (saransh lekhan)
Summary of the Poem
I have shared Kavita Ka Saransh / कविता का सारांश in Hindi and English for Madhyama Paper – 1.
1. पुष्प की अभिलाषा Kavita Ka Saransh (pushp ki abhilasha) saransh lekhan
माखनलाल चतुर्वेदी इस कविता के माध्यम से एक फूल की इच्छा को प्रकट करते हैं कि जब माली अपने बगीचे में फूल तोड़ने जाता है तब वह फूल से पूछता है कि वह कहाँ जाना चाहता है ? माला बनना चाहता है या भगवान के चरणों में चढ़ाया जाना चाहता है ।
माली के प्रश्नों का उत्तर देते हुए फूल बताता है कि वह किसी स्त्री के बालों को अलंकृत करना नहीं चाहता , न ही दो प्रेमियों की माला बनना चाहता , उसको यह भी चाह नहीं कि वह किसी राजा के शव पर चढ़ाया जाय या भगवान के सिर पर चढ़कर अपना भाग्य बना लें ।
फूल अपनी इच्छा प्रकट करते हुए कहता है कि उसे तोड़कर उस पथ पर फेंक देना जहाँ महान शूरवीर मातृभूमि की रक्षा करने के लिए अपना शीश चढ़ाने जा रहे हैं । वह उन शूरवीरों के पैरों पर पड़ना चाहता है , जिन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए अपना सब कुछ न्योछावर किया है ।
इस कविता के द्वारा माखनलाल चतुर्वेदी ने एक फूल के माध्यम से देशभक्ति की भावना प्रकट की है ।
Desire of flowers
Makhanlal Chaturvedi reveals his desire for a flower through the poem that when the gardener goes to pluck the flower in his garden, he asks the flower where he wants to go? Wants to be garlanded or offered at the feet of God.
Answering the gardener’s questions, the flower states that he does not want to embellish a woman’s hair, nor be a garland of two lovers, he does not even want it to be put on the corpse of a king or to be offered to God and make his fortune.
Flower expresses his wish that he pluck it and throw it on the path where the great knight is going to offer his head to protect the motherland. He wants to fall at the feet of the knights who have sacrificed everything for their motherland.
Through this poem, Makhanlal Chaturvedi reveals the spirit of patriotism through a flower.
Kavita Ka Saransh
2.एक बूँद Saransh (ek boond) saransh lekhan
बादलों की गोद में से निकलकर पानी की एक बूँद आगे बढ़ी और बार – बार सोचने लगी कि वह क्यों घर से बाहर निकली ।
वह भगवान से पूछती है कि वह बच जायेगी या धूल बनकर मिट्टी में समा जायेगी । वह पूछती है कि वह अंगारे में पड़कर जल जायेगी या कमल के फूल के दलों पर गिरकर अपना स्थान ग्रहण करेगी ।
उस समय एक ऐसी हवा बहने लगी जिससे वह बूँद अनिच्छा से समुद्र में जाकर गिर पड़ी । समुद्र में एक सुन्दर सीप का मुँह खुला था और वह बूँद उसी सीप में जाकर गिर पड़ी और वह मोती बन गई ।
कवि कहते हैं कि बहुत लोग ऐसे हैं जो घर से बाहर निकलते समय झिझकते हैं , डरते हैं । लेकिन उन्हें मालूम नहीं कि घर से बाहर निकलकर बाहर की दुनिया को जानना चाहिए और स्वयं को इस दुनिया में जीने लायक बना लेना चाहिए ।
A Drop
Coming out of the lap of clouds, a drop of water moved forward and began to wonder why she came out of the house.
She asks God whether she will be saved or will she become dust and get absorbed in the soil. She asks whether she will get burnt by falling in the ember or will take her place after falling on the lotus flowers.
At that time such a wind started blowing due to which the drop reluctantly fell into the sea. The mouth of a beautiful oyster was open in the sea and that drop fell into that oyster and it became a pearl.
The poet says that there are many people who are hesitant, afraid while going out of the house. But they do not know that they should get out of the house and know the outside world and make themselves fit to live in this world.
3.ऐ मालिक तेरे बन्दे हम (ai maalik tere bande ham) saransh lekhan
प्रस्तुत कविता में कवि भगवान से प्रार्थना करते हैं – हे ईश्वर , तुम हमारे रक्षक हो , हम तुम्हारे गुलाम हैं । तुमसे प्रार्थना है कि हमारा कर्म ऐसा हो जिससे हम नेक रास्ते पर चलें और बुराई से बचें ताकि हम मुस्कुराते हुए आखिरी साँस छोडें ।
सब जगह अंधेरा छा गया है और मनुष्य डर के मारे कुछ नहीं सोच पाता है उसे कुछ भी दिखाई नहीं देता है । धीरे – धीरे सुख रूपी सूरज ओझल होता जा रहा है । लेकिन तुम अपनी शक्ति से इस अमावास्या के अंधेरेपन को पूर्णिमा की रोशनी में बदल दो । हमारा रास्ता नेक हो और बुराई से हमें बचायें ।
आगे कवि कहते हैं कि जहाँ भी अन्याय होता है , उससे हमें ज़रूर बचाना । भले , दूसरे लोग अन्याय करें , बुराई करें लेकिन उसके बदले में हमें भलाई करने की हिम्मत दो । हमारे मन से यह कामना कभी न बदले , हमारे मन का प्यार बढ़ता रहे । मन में द्वेष भावना का जो भ्रम है वह मिटे । हमारा रास्ता नेक हो । बुराई से हमें बचाये ताकि मुस्कुराते हुए हम आखिरी साँस छोडें । मनुष्य बहुत कमज़ोर है । अभी भी उसमें लाखों कमियाँ हैं । हे भगवान , तुम बड़े दयालू हो । तुम अपनी कृपा से इस धरती की रक्षा करते हो । तुमने हमें जन्म दिया है । तुम हमारे दुखों को मिटाओ । हमारा रास्ता नेक हो । बुराई से हमें बचाओ । हम मुस्कुराते हुए आखिरी साँस छोडेंगे ।
O master, your friend
In the poem presented, the poet prays to God – O God, you are our protector, we are your slaves. I pray to you that our actions should be such that we walk on the righteous path and avoid evil so that we leave the last breath smiling.
Darkness has fallen everywhere and man cannot think of anything because of fear, he does not see anything. Gradually, the sun like happiness is disappearing. But with your power, transform the darkness of this new moon into the light of full moon. May our path be righteous and save us from evil.
The poet further says that wherever injustice happens, we must be saved from it. Though others do injustice, do evil, but give us the courage to do good in return. Never change this wish from our mind, May the love of our mind keep increasing. The illusion of hatred in the mind should be erased. May our path be noble. Save us from evil so that we can leave the last breath while smiling. Man is very weak. There are still a million flaws in it. Oh God, you are very kind. You protect this earth by your grace. You have given birth to us. You take away our sorrows. May our path be noble. Protect us from evil. We will leave our last breath with a smile.
These Kavita Ka Saransh / कविता का सारांश is enough to learn for Madhyama Paper – 1.