Namak Ka Daroga – नमक का दारोगा
Hello students I have shared Namak Ka Daroga – नमक का दारोगा question answers in hindi and english.
1. मासिक वेतन को ‘पूर्णमासी का चाँद’ क्यों कहा गया है?
उत्तर: मासिक वेतन को ‘पूर्णमासी का चाँद’ इसलिए कहा गया है क्योंकि यह महीने में सिर्फ एक दिन मिलता है और बाकी दिनों में खर्च हो जाता है, जैसे पूर्णिमा का चाँद केवल एक रात के लिए होता है।
1. Why is monthly salary called ‘full moon’?
Answer: The monthly salary is called ‘full moon’ because it comes only once a month and gets spent quickly, just like the full moon appears only once a month.
2. डिप्टी मजिस्ट्रेट के फैसले से मुंशी वंशीधर पर क्या गुज़री?
उत्तर: डिप्टी मजिस्ट्रेट के फैसले से मुंशी वंशीधर को बहुत दुख हुआ। उन्हें नौकरी से निलंबित कर दिया गया, जिससे उनका मनोबल टूट गया और वे बहुत निराश हो गए।
2. What happened to Munshi Vanshidhar due to the Deputy Magistrate’s decision?
Answer: The Deputy Magistrate’s decision caused Munshi Vanshidhar great sorrow. He was suspended from his job, which broke his spirit and made him very sad.
3. “ईश्वर निस्संतान चाहे रखे पर ऐसी संतान न दे,” बूढ़े मुंशी जी ने यह क्यों कहा?
उत्तर: बूढ़े मुंशी जी ने यह इसलिए कहा क्योंकि वंशीधर की ईमानदारी ने उन्हें और उनके परिवार को कठिनाइयों में डाल दिया था। वे चाहते थे कि वंशीधर समझौता कर लेते, लेकिन वंशीधर ने सच्चाई का पालन किया जिससे परिवार को नुकसान हुआ।
3. Why did the old Munshi Ji say, “God may keep one childless but should not give such a child”?
Answer: The old Munshi Ji said this because Vanshidhar’s honesty caused difficulties for their family. They wished Vanshidhar had compromised, but he followed the truth, which led to problems for the family.
4. “मुझे अयोग्य आदमी चाहिए,” ऐसा अलोपीदीन ने क्यों कहा?
उत्तर: पंडित अलोपीदीन ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उन्होंने वंशीधर की ईमानदारी और धर्मपरायणता को बहुत महत्व दिया। वे चाहते थे कि वंशीधर जैसा ईमानदार व्यक्ति उनकी जायदाद का मैनेजर बने।
4. Why did Alopidin say, “I need an incompetent person”?
Answer: Pandit Alopidin said this because he valued Vanshidhar’s honesty and devotion to duty. He wanted an honest person like Vanshidhar to manage his property.
5. वंशीधर और अलोपीदीन की चार-चार चारित्रिक विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
उत्तर:
वंशीधर की चारित्रिक विशेषताएँ:-
- ईमानदार:वंशीधर ने रिश्वत को ठुकरा दिया और अपने कर्तव्य का पालन किया।
- कर्तव्यपरायण: वंशीधर ने अपने पद का ईमानदारी से पालन किया और किसी भी प्रकार की भ्रष्टाचार में संलिप्त नहीं हुए।
- धर्मनिष्ठ: वंशीधर ने धर्म और सत्य का पालन किया, भले ही उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
- स्वाभिमानी: वंशीधर ने अपनी ईमानदारी और निष्ठा को कभी नहीं छोड़ा और अपनी स्वाभिमान को बनाए रखा।
अलोपीदीन की चारित्रिक विशेषताएँ:-
- धनाढ्य: अलोपीदीन एक बहुत बड़े जमींदार थे और उनके पास धन की कमी नहीं थी।
- विनम्र: अलोपीदीन ने वंशीधर से विनम्रता पूर्वक माफी माँगी और उन्हें अपनी जायदाद का मैनेजर नियुक्त किया।
- आत्मविश्वास: अलोपीदीन को अपने धन और प्रभाव पर पूरा विश्वास था।
- उदार: अंततः अलोपीदीन ने अपनी जायदाद का मैनेजर नियुक्त कर वंशीधर को एक नया अवसर दिया, जो उनकी उदारता को दर्शाता है।
5. Describe four characteristics of Vanshidhar and Alopidin.
Answer:
Characteristics of Vanshidhar:
- Honest: Vanshidhar refused the bribe and performed his duty.
- Dutiful: Vanshidhar performed his role with integrity and did not engage in any corruption.
- Devout: Vanshidhar followed truth and duty, even if it caused difficulties.
- Proud: Vanshidhar maintained his honesty and integrity, never compromising his self-respect.
Characteristics of Alopidin:
- Wealthy: Alopidin was a rich landlord with ample money.
- Humble: Alopidin apologized humbly to Vanshidhar and appointed him as his estate manager.
- Confident: Alopidin had complete confidence in his wealth and influence.
- Generous: Ultimately, Alopidin appointed Vanshidhar as the manager of his estate, showing his generosity.
6. पंडित अलोपीदीन की विनम्रता और आत्मविश्वास की सराहना करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रिय मित्र,
नमस्ते,
आशा है कि तुम स्वस्थ और खुशहाल होगे। आज मैं तुम्हें एक ऐसी घटना के बारे में बताने जा रहा हूँ, जो हमारे समाज में नैतिकता और विनम्रता का महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करती है।
हमारे शहर में पंडित अलोपीदीन नामक एक बड़े जमींदार हैं। कुछ दिनों पहले, एक ईमानदार अधिकारी मुंशी वंशीधर ने उन्हें कानून के दायरे में लाया था। अदालत ने पंडित अलोपीदीन को निर्दोष साबित किया, फिर भी पंडित जी ने वंशीधर की ईमानदारी और सच्चाई की प्रशंसा की और उन्हें अपनी जायदाद का मैनेजर नियुक्त किया।
पंडित अलोपीदीन की विनम्रता और आत्मविश्वास ने मुझे बहुत प्रभावित किया। उन्होंने वंशीधर की सच्चाई को महत्व दिया और उन्हें सम्मानित किया।
यह घटना हमें सिखाती है कि सच्चे नेता वही होते हैं जो दूसरों के गुणों को पहचानते हैं और उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। इस घटना से मुझे यह भी सिखने को मिला कि सच्ची महानता विनम्रता और उदारता में निहित है। आशा है कि तुम भी इस घटना से प्रेरणा पाओगे और अपने जीवन में इन मूल्यों को अपनाने की कोशिश करोगे।
शुभकामनाओं सहित,
तुम्हारा मित्र,
[तुम्हारा नाम]
6. Write a letter to a friend praising Pandit Alopidin’s humility and confidence.
Answer:
Dear Friend,
Hello,
I hope you are healthy and happy. Today, I want to tell you about an event that presents an important example of morality and humility in our society.
In our city, there is a wealthy landlord named Pandit Alopidin. A few days ago, an honest officer, Munshi Vanshidhar, brought him under the law. The court found Pandit Alopidin innocent, yet Pandit Ji appreciated Vanshidhar’s honesty and truthfulness and appointed him as the manager of his estate.
Pandit Alopidin’s humility and confidence greatly impressed me. He valued Vanshidhar’s honesty and honored him. This event teaches us that true leaders are those who recognize and encourage the qualities of others.
This incident also taught me that true greatness lies in humility and generosity. I hope you, too, will be inspired by this event and try to adopt these values in your life. With best wishes,
Your friend,
[Your Name]