Rupaya Rashtrabhasha
रुपया
Hello students I have shared Rupaya Rashtrabhasha रुपया Saransh, meaning and sentences in Hindi and English.
1.हिंदी में अर्थ लिखिए | (Write meaning in Hindi)
- सर्वस्व – सारा, सबकुछ (Everything)
- लड़कपन – बालपन (childhood)
- उल्लास – हर्ष (Joy)
- जवानी – यौवन (Youth)
- सत्य – सच्चाई (Truth)
- पराजय – हार (Defeat)
- जगत् – संसार (World)
- कोमल – मुलायम (Soft)
- खून – रक्त, हत्या (bloodshed, murder)
- अपाहिज – अंगहीन, विकलांग (handicapped, crippled)
2. वाक्यों में प्रयोग कीजिए । Use in sentences.
- गुलाम – हम किसी के गुलाम नहीं हैं ।
Slave – We are not slaves of anyone.
- ममता – माता की ममता अतुलनीय है।
Love – Mother’s love is incomparable.
- वरदान – कला – कौशल ईश्वर का वरदान है।
Blessing – Blessing is a gift from God.
- पराजित – अहिंसा के सामने हिंसा पराजित होती आयी है।
Defeated – Violence has been defeated in front of non-violence.
- आकर्षक – मोर के पंख बहुत आकर्षक होते हैं।
Attractive – Peacock feathers are very attractive.
Rupaya Rashtrabhasha Notes
3. गद्यांश पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए । Read the passage and answer the following questions.
“मेरी झनझनाहट में जो अलौकिक मधुरिमा है, वह वीणापाणि की वीणा में कहाँ ? भगवान् लक्ष्मीपति के पाँचजन्य शंख में कहाँ? कोकिल–कल– काकली में कहाँ ? कामिनी के कोमल कण्ठ में कहाँ ? मुरलीधर की मुरली में कहाँ? डमरूवाले के डमरू में कहाँ ? वहाँ कहाँ ? यहाँ कहाँ? मैं सप्त स्वरों से ऊपर अष्टम स्वर हूँ, परम मधुर हूँ। मैं रुपया हूँ। “
“Where is the supernatural sweetness in my tinkling, in the veena of Veenapani? Where in the conch shell of Lord Lakshmipati? Where in Kokil-Kal-Kakli? Where in the soft throat of Kamini? Where in Murlidhar’s Murli? Where in the damru of the damruwala? where there where here? I am the eighth voice above the seven voices, the most sweet. I am Rupee ,
1. रुपये की झनझनाहट में क्या है ?
- रुपये की झनझनाहट में अलौकिक मधुरिमा है।
What is there in the jingle of rupees?
There is supernatural sweetness in the tinkling of rupees.
2. रुपया अपने को क्या कहता है ?
- रुपया अपने को अष्टम स्वर कहता है ।
What does Rupee call itself?
Rupee calls itself the eighth voice.
3. रुपये में जो मधुरिमा है वह कहाँ–कहाँ नहीं मिलती ?
- रुपये में जो मधुरिमा है वह वीणापाणि की वीणा में, पाँचजन्य शंख में, कोकिल की आवाज़ में, मुरलीधर की मुरली में और डमरू में नहीं मिल पाती है।
The sweetness that is in the rupee is not found anywhere?
The sweetness that is found in Rupee is not found in Veenapani’s Veena, Panchjanya conch, Kokila’s voice, Murlidhar’s Murli and Damru.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में दीजिए। Answer the following questions in one or two sentences.
1. “रुपया ” पाठ के लेखक कौन हैं ?
- रुपया पाठ के लेखक श्री पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र‘ हैं।
Who is the author of the text “Rupee”?
Mr. Pandey Bechan Sharma, the author of Rupee
2. मनुष्य किसे जीवन के लड़कपन का खिलौना मानते हैं?
- रुपये को मनुष्य जीवन के लड़कपन काखिलौना मानते हैं।
What do humans consider as the boyhood toy of life?
Human beings consider money as a toy of boyhood.
3. “रुपया ” पाठ से हमें क्या सीख मिलती है ?
- रुपया पाठ से यही सीख मिलती है कि इस संसार में व्यक्ति ईश्वर से बढ़कर रुपये को ही सर्वशक्तिमान मानता है।
What lesson do we get from the lesson “Rupee”?
The only lesson we get from the lesson of Rupee is that in this world, a person considers Rupee to be more almighty than God.
“रुपया ” पाठ का सारांश लिखिए ।Write a summary of the lesson “Rupee”.
आज का मनुष्य रुपये को ही सर्वस्व मानता है। मनुष्य भौतिक सुख से प्रभावित है। वह रुपये को अपने जीवन के लड़कपन का खिलौना, जवानी का उल्लास और बुढ़ापे की लकड़ी मानता है।
Today’s man considers money as everything. Man is influenced by material happiness. He regards money as the toy of boyhood, the joy of youth and support for old age
आदमी रुपये का गुलाम बन गया है। वह प्रकृति को भी रुपये से ललकारता है। रुपया ही आज के मनुष्य के लिए ईश्वर, सत्य, शिव, सुंदर और परलोक बन गया है। पैसे की झंझनाहट में उसको अष्टम स्वर सुनाई पड़ता है। ईश्वर के भक्तों के लिए भी रुपया मंगलकरण और पुण्याचरण बन गया है।
Man has become a slave of money. He challenges even nature with money. Money has become God, Truth, Shiva, Sundar and the other world for today’s man. He can hear the eighth note in the jingle of money. Even for the devotees of God, money has become auspicious and virtuous.
मनुष्य की धारणा है कि पैसे का सहारा लेकर कोई भी पाप कर्म कर सकता है। उसे कोई हिला नहीं सकता। वह रुपये को ही सर्वशक्तिमान समझता है । मनुष्य रुपये के वरदान को ईश्वर के वरदान से श्रेष्ठ मानता है।
Man’s belief is that by taking the help of money, anyone can commit a sin. No one can shake him. He considers money as almighty. Man considers the boon of money to be superior to the boon of God.
पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ ने आज के मनुष्य के लालच और लोलुपता पर प्रकाश डाला है। वे कहते हैं कि मनुष्य रुपये के पीछे मानवता को खोकर पाशविक गुण अपनाता जा रहा है।
Pandey Bechan Sharma ‘Ugra’ has thrown light on the greed and gluttony of today’s man. They say that man is adopting animalistic qualities by losing humanity behind money.
Rupaya Rashtrabhasha अर्थ, वाक्यों में प्रयोग, गद्यांश, सभ्यता का रहस्य” पाठ का सारांश all shared in hindi and english