Urdu Ke Sher Rashtrabhasha
उर्दू के शेर (गज़ल के कुछ शेर)
Hello students I have shared Urdu Ke Sher Rashtrabhasha उर्दू के शेर (गज़ल के कुछ शेर) in Hindi and English.
निम्नलिखित गज़लों का भावार्थ लिखिए |
1. घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला (बशीर ‘बद्र‘)
शायर बशीर ‘बद्र‘ कहते हैं कि तलाश करने पर बड़े–बड़े ओहदेवाले और बड़े–बड़े व्यक्तियों के नाम मिल जाते हैं। लेकिन सच्चा इंसान कहीं नहीं मिल पाता है । इसीको बशीर ‘बद्र‘ कहते हैं कि घरों पर नाम और ओहदे का नाम लिखा रहता है, लेकिन उस घर में सच्चा इंसान नहीं मिलता है।
Poet Bashir ‘Badr’ says that on searching, the names of big-ranking and big people are found. But a true person is nowhere to be found. This is what Bashir calls ‘Badr’ that name and rank are written on the houses, but a true person is not found in that house.
2. ये हुनर भी बड़ा ज़रूरी है
कितना झुक कर किसे सलाम करो. (हफ़ीज़ मेरठी)
शायर हफ़ीज़ मेरठी कहते हैं कि जीवन में झुकने की कला सीखना ज़रूरी है । किसके पास कितना अधिकार है?-इसे समझकर उसके हिसाब से झुकना है और सलाम करना है। यहाँ शायर दुनियादारी पर मज़ाक उड़ाते हैं।
Poet Hafeez Meerthi says that it is necessary to learn the art of bowing down in life. Who has how much authority? – Understanding this, we have to bow and salute accordingly. Here poets make fun of worldliness.
3. फ़रमान से पेड़ों पे कभी फल नहीं लगते
तलवार से मौसम कोई बदला नहीं जाता (मुजफ़्फ़र वारसी)
शायर मुजफ़्फ़र वारसी कहते हैं कि कोई भी काम हम अपना अधिकार दिखाकर कर नहीं सकते। प्रकृति किसी मनुष्य के अधिकार और आज्ञा को नहीं मानती । उदाहरण देते हुए शायर कहते हैं किसीकी आज्ञा मानकर पेड़ों पर फल नहीं लगते और उसी प्रकार किसी की तलवार देखकर मौसम नहीं बदलता ।
Poet Muzaffar Warsi says that we cannot do any work by showing our authority. Nature does not obey the rights and orders of any human being. Giving examples, poets say that trees do not bear fruits by following someone’s orders and similarly the weather does not change by looking at someone’s sword.
Urdu Ke Sher Bhavarth
4. बुलन्दियों पे पहुँचना कोई कुशलता नहीं
बुलन्दियों पे ठहरना कमाल होता है। अशोक ‘साहिल‘
शायर अशोक ‘साहिल‘ कहते हैं कि बुलन्दियों को छूना (ऊँचाई तक पहुँचना), बड़े–बड़े पद पर बैठना कोई बड़ी बात नहीं है । उस पद को अंत तक बनाए रखना बड़ी बात होती है । अर्थ यह है कि बड़े–बड़े पदों पर पहुँचने के बाद पदों को अंत तक संभालना ही कुशलता है ।
Poet Ashok ‘Sahil’ says that it is not a big deal to touch heights (reach heights), to sit on big posts. Maintaining that position till the end is a big deal. The meaning is that after reaching the big positions, it is skill to handle the positions till the end.
5. जो घर बनाओ तो इक पेड़ भी लगा लेना
परिन्दे सारे मुहल्ले में चहचहाएँगे (डॉ.के.के. ऋषि)
डॉ.के.के. ऋषि इस शेर में पेड़ों का महत्व बताते हैं । नया घर बनानेवालों से शायर कहते हैं कि घर बनाते समय एक पेड़ भी लगा दो। उस पेड़ में परिंदे आकर निवास करेंगे, सुबह–शाम चहचहाएँगे। उन परिंदों की मीठी बोली हमें आनंद प्रदान करेगी और सारे मोहल्ले में खुशी का वातावरण रहेगा ।
Dr. K.K. The sage explains the importance of trees in this sher. Poets say to those building a new house that while building a house, plant a tree as well. Birds will come and reside in that tree, chirping morning and evening. The sweet speech of those birds will give us joy and there will be an atmosphere of happiness in the whole locality.